दिवाली पूजा विधि 2022 | laxmi puja vidhi in hindi | धनतेरस पूजा विधि


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हिन्दू धर्म में देवी मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा  जाता है,

वर्तमान दौर में पैसे की कमी इनसान की कमजोरी का कारण बन जाता है, ऐसे में तकरीबन हर कोई आज के दौर में अधिक से अधिक धन व वैभव की लालसा रखता है। लेकिन कई बार तमाम कोशिशों के बावजूद व्यक्ति के पास धन नहीं टिकता, रूकता या वह नहीं कमा पाता जितना वो चाहता है। ऐसे में सनातन हिन्दू धर्म में देवी मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजन किया जाता है। वहीं सप्ताह में इनका मुख्य दिन शुक्रवार को माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर जिस घर से मां लक्ष्मी अधिक प्रसन्न होती हैं, उस घर में वास करने के साथ ही वहां के लोगों को वे कभी भी धन की कमी नहीं होती। मान्यता के अनुसार देवी मां लक्ष्मी का पूजन करने से धन से जुड़ी तमाम परेशानियां दूर हो जाती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के आधार पर, मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की भी पूजा करनी चाहिए।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह में शुक्रवार का दिन लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष शुभ माना जाता है। जानकारों के अनुसार ये जरूरी नहीं है कि आप लक्ष्मी पूजा दीपावली के दिन ही करें। आप किसी भी शुभ दिन या शुक्रवार के दिन लक्ष्मी पूजा कर सकते हैं। मान्यताओं व ज्योतिषचार्यों के आधार पर Laxmi Pujan, अगर विधि अनुसार किया जाए, तो इस पूजन का फल तुरंत मिल जाता है।


वहीं कई बार लोगों को माता लक्ष्मी के पूजन की विधि क्या होती है और मां को किस तरह से प्रसन्न किया जा सकता है, इसकी जानकारी नहीं होती है। इस संबंध में जानकरों के अनुसार दरअसल माता लक्ष्मी के पूजन की विधि को कई चरणों में किया जाता है। पंडित के अनुसार लक्ष्मी पूजन करते समय एक निश्चित विधि का पालन कर आप भी माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते है। लक्ष्मी पूजन की यह विधि बेहद ही सरल है और आप इसे आसानी से घर में कर सकते हैं। आइये जानते हैं, कि धन की देवी Laxmi की पूजा किस तरह से करना चाहिए और क्या हैं वो 33 चीजें जिनका पूजा में उपयोग करें।


मां लक्ष्मी की पूजा में कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश के लिए आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली, कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन पूजन सामग्री का इस्तेमाल करें।


लक्ष्मी पूजन की विधि को षोडशोपचार पूजा के नाम से भी जाना जाता है और इस पूजा विधि को 16 चरणों में किया जाता है। दीपावली के दौरान भी इसी तरह की पूजा विधि का उपयोग किया जाता है।


पूजन शुरू करने से पहले चौकी को धोकर उस पर रंगोली बनाएं और चौकी के चारों तरफ चार दीपक जलाएं। जिस जगह पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने जा रहे हैं, वहां पर थोड़ा सा चावल जरूर रखें। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके बायीं ओर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें।


आसन लगाकर उनके सामने बैठ जाएं और खुद को व आसन को इस मंत्र से शुद्ध करें


ऊं अपवित्र :

पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: 

स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥


इस मंत्र से खुद पर और आसन पर 3-3 बार कुशा व पुष्पादि से छीटें लगाएं।


पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर पूजन के लिए संकल्प लें। सबसे पहले गजानंद की पूजा करें और इसके बाद स्थापित सभी देवी-देवताओं का पूजन करें। कलश की स्थापना करें और मां लक्ष्मी का ध्यान करें। मां लक्ष्मी को इस दिन लाल वस्त्र जरूर पहनाएं।


ध्यान  Laxmi Pujan की विधि के पहले चरण के तहत ध्यान लगाया जाता है और मां को याद किया जाता है। ध्यान लगाने से पहले आप अपने सामने लक्ष्मी मां की मूर्ति रख लें और मां का ध्यान करें।


मां लक्ष्मी का आह्वान , मां लक्ष्मी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वान किया जाता है। आवाहन करते समय हम मां को आने का निमंत्रण देते हैं। मां लक्ष्मी का आवाहन करते समय उनकी मूर्ति पर फूल अर्पित करें और इस मंत्र को बोलें


आगच्‍छ देव-देवेशि! तेजोमय‍ि महा-लक्ष्‍मी !

क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते !

।। श्रीलक्ष्‍मी देवीं आवाह्यामि ।।


Pushpanjali आसन

मां का आवाहन करने के बाद आप पांच तरह के फूल मां की मूर्ति के सामने रखें और साथ ही इस मंत्र का जाप करते हुए एक-एक फूल को छोड़े।


नाना रत्‍न समायुक्‍तं, कार्त स्‍वर विभूषितम् ।

आसनं देव-देवेश ! प्रीत्‍यर्थं प्रति-गह्यताम् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै आसनार्थे पंच-पुष्‍पाणि समर्पयामि ।।


मां का आह्वान और उनको फूल चढ़ाने के बाद मां का स्वागत किया जाता है और मां का स्वागत करते हुए ‘श्रीलक्ष्‍मी देवी! स्‍वागतम् मंत्र का उच्‍चारण किया जाता है। इस मंत्र का अर्थ है कि हम मां का सच्चे मन से स्वागत करते हैं।


लक्ष्मी पूजन की विधि के अगले चरण को पाद्य कहा जाता है। इस चरण में मां के पैरों को जल से धोया जाता है और मां के पैर धोते हुए नीचे बताए गए मंत्र को बोला जाता है। ये मंत्र इस प्रकार है।


पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !

भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्‍मी ! नमोsस्‍तुते ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै पाद्यं नम:।।


मां लक्ष्मी के पैरों को जल से साफ करने के बाद मां को अर्घ्य दी जाती है और अर्घ्य देते समय इस मंत्र को पढ़ा जाता है।


नमस्‍ते देव-देवेशि ! नमस्‍ते कमल-धारिणि !

नमस्‍ते श्री महालक्ष्‍मी, धनदा देवी ! अर्घ्‍यं गृहाण ।

गंध-पुष्‍पाक्षतैर्युक्‍तं, फल-द्रव्‍य-समन्वितम् ।

गृहाण तोयमर्घ्‍यर्थं, परमेश्‍वरि वत्‍सले !

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अर्घ्‍यं स्‍वाहा ।।


मां Laxmi को स्नान कराने के लिए दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण को मिलाकर पंचामृत बना जाता है और इससे मां को स्नान करवाया जाता है। मां पर पंचामृत डालने के बाद शुद्ध जल डाला जाता है और इस मंत्र को बोला जाता है।


गंगासरस्‍वतीरेवापयोष्‍णीनर्मदाजलै: ।

स्‍नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्‍व मे ।।

आदित्‍यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्‍पतिस्‍तव वृक्षोsथ बिल्‍व: ।

तस्‍य फलानि तपसा नुदन्‍तु मायान्‍तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्‍मी: ।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै जलस्‍नानं समर्पयामि ।।


लक्ष्मी पूजन की विधि के अगले चरण में वस्त्र दान किये जाते हैं। मां लक्ष्‍मी को मोली वस्त्र के रूप में अर्पित किया जाता है और मोली को अर्पित करते समय इस मंत्र का जाप किया जाता है।


दिव्‍याम्‍बरं नूतनं हि क्षौमं त्‍वतिमनोहरम् ।

दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ।।

उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह ।

प्रादुर्भूतो सुराष्‍ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे ।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै वस्‍त्रं समर्पयामि ।।


वस्त्र अर्पित करने के बाद मां को आभूषण चढ़ाए जाते हैं और इस मंत्र का जाप किया जाता है


रत्‍नकंकड़ वैदूर्यमुक्‍ताहारयुतानि च ।

सुप्रसन्‍नेन मनसा दत्तानि स्‍वीकुरुष्‍व मे ।।

क्षुप्तिपपासामालां ज्‍येष्‍ठामलक्ष्‍मीं नाशयाम्‍यहम् ।

अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै आभूषणानि समर्पयामि ।।


लक्ष्मी पूजन की विधि के अगले चरण के तहत लक्ष्‍मी मां को सिंदूर चढ़ाया जाता है और इस मंत्र को बोला जाता है।


ॐ सिन्‍दुरम् रक्‍तवर्णश्च सिन्‍दूरतिलकाप्रिये ।

भक्‍त्या दत्तं मया देवि सिन्‍दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै सिन्‍दूरम् सर्पयामि ।।


मां को कुमकुम चढ़ाते हुए, इस मंत्र को बोलें।


ॐ कुमकुम कामदं दिव्‍यं कुमकुम कामरूपिणम् ।

अखंडकामसौभाग्‍यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै कुमकुम सर्पयामि ।।


मां को कुमकुम चढ़ाने के बाद साफ और बिना टूटे हुए अक्षत चढ़ाएं और अक्षात चढा़ते समय ये मंत्र बोलें-


अक्षताश्च सुरश्रेष्‍ठं कुंकमाक्‍ता: सुशोभिता: ।

मया निवेदिता भक्‍तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अक्षतान् सर्पयामि ।।


मां को कमल का पुष्‍प समर्पित करें और इस मंत्र का जाप करें।


यथाप्राप्‍तऋतुपुष्‍पै:, विल्‍वतुलसीदलैश्च ।

पूजयामि महालक्ष्‍मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै पुष्‍पं सर्पयामि ।।


अंग पूजन के तहत हाथ में फूल, चावल और चंदन लेकर दाहिने हाथ से मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को रखें और इस मंत्र को बोलें।


ॐ चपलायै नम: पादौ पूजयामि ।

ॐ चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि ।

ॐ कमलायै नम: कटिं पूजयामि ।

ॐ कात्‍यायन्‍यै नम: नाभि पूजयामि ।

ॐ जगन्‍मात्रै नम: जठरं पूजयामि ।

ॐ विश्‍व-वल्‍लभायै नम: वक्ष-स्‍थलं पूजयामि ।

ॐ कमल-वासिन्‍यै नम: हस्‍तौ पूजयामि ।

ॐ कमल-पत्राक्ष्‍यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि ।

ॐ श्रियै नम: शिर पूजयामि ।


मंत्र बोलने के बाद मां के सामने धूप और दीपक जलाएं और मां को भोग अर्पित करें। मां से जुड़ा पाठ करें और अंत में मां लक्ष्‍मी की आरती करें। लक्ष्मी पूजन की विधि समाप्त होने के बाद मां लक्ष्मी की आरती ज़रूर करें।


इस तरह पूजा विधि करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है ,


पुराणा के अनुसार लक्ष्मीजी के 8 अवतार :


महालक्ष्मी, जो वैकुंठ में निवास करती हैं। स्वर्गलक्ष्मी, जो स्वर्ग में निवास करती हैं। राधाजी, जो गोलोक में निवास करती हैं। दक्षिणा, जो यज्ञ में निवास करती हैं। गृहलक्ष्मी, जो गृह में निवास करती हैं। शोभा, जो हर वस्तु में निवास करती हैं। सुरभि (रुक्मणी), जो गोलोक में निवास करती हैं और राजलक्ष्मी (सीता) जी, जो पाताल और भूलोक में निवास करती हैं।


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